यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 भारत में एक ऐतिहासिक कानून है जिसे बच्चों को यौन दुर्व्यवहार और शोषण से बचाने के लिए बनाया गया था। अधिनियम में बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है, जिसमें कुछ मामलों में आजीवन कारावास या यहां तक कि मौत की सजा भी शामिल है।
POCSO एक्ट में जमानत के प्रावधान भी हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि POCSO मामलों में जमानत नहीं दी जाती है। जमानत देने से पहले अदालतें प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर सावधानीपूर्वक विचार करेंगी।
POCSO अधिनियम के तहत जमानत कौन दे सकता है?
POCSO अधिनियम के तहत जमानत या तो सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा दी जा सकती है। सत्र न्यायालय POCSO मामलों के लिए प्रथम दृष्टया अदालत है, और इसमें नियमित और अग्रिम जमानत दोनों देने की शक्ति है। उच्च न्यायालय के पास POCSO मामलों में अपील पर जमानत देने की शक्ति है।
POCSO एक्ट के तहत जमानत कब दी जा सकती है?
POCSO अधिनियम स्पष्ट रूप से जमानत पर रोक नहीं लगाता है, लेकिन यह स्पष्ट करता है कि POCSO मामलों में जमानत हल्के ढंग से नहीं दी जानी चाहिए। जमानत देने से पहले अदालतें निम्नलिखित कारकों पर विचार करेंगी:
- अपराध की प्रकृति और गंभीरता
- पीड़िता की उम्र
- आरोपी और पीड़ित के बीच संबंध
- आरोपियों के खिलाफ सबूतों की ताकत
- अभियुक्त के न्याय से भागने की संभावना
- अभियुक्त द्वारा सबूतों या गवाहों के साथ छेड़छाड़ की संभावना
यह भी पड़ें – झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय एवं प्रावधान
पास्को एक्ट में जमानत कैसे मिलती है
यदि आपको POCSO अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है, तो आप सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन एक वकील के माध्यम से दायर किया जाना चाहिए।
आवेदन में जमानत के लिए निम्नलिखित आधार बताए जाने चाहिए:
- अपराध उतना गंभीर नहीं है जितना दिखता है
- आरोपियों के खिलाफ सबूत कमजोर हैं
- आरोपी के भागने का खतरा नहीं है
- आरोपी द्वारा साक्ष्यों या गवाहों के साथ छेड़छाड़ की संभावना नहीं है
जमानत देने का निर्णय लेते समय अदालत निम्नलिखित कारकों पर भी विचार करेगी:
- अभियुक्त का अपराधिक इतिहास
- आरोपी के सामाजिक संबंध हैं
- आरोपी का स्वास्थ्य
- जमानत का पीड़ित और पीड़ित परिवार पर असर
अदालत जमानत पर कुछ शर्तें लगा सकती है, जैसे:
- आरोपी को पीड़ित या पीड़ित परिवार से संपर्क नहीं करना चाहिए
- अभियुक्त को बिना अनुमति के न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं छोड़ना चाहिए
- आरोपियों को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा
- अभियुक्त को एक ज़मानत बांड भरना होगा
अगर जमानत नामंजूर हो गई तो क्या करें?
यदि अदालत जमानत से इनकार करती है, तो आप फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। यदि उच्च न्यायालय भी जमानत से इनकार करता है, तो मुकदमा पूरा होने तक आपको हिरासत में रहना होगा।
POCSO अधिनियम के तहत जमानत पाने के लिए टिप्स
- अपने वकील के प्रति ईमानदार और पारदर्शी रहें।
- अपने जमानत आवेदन का समर्थन करने के लिए जितना संभव हो उतना सबूत इकट्ठा करें, जैसे दोस्तों और परिवार से चरित्र संदर्भ, मेडिकल रिकॉर्ड और रोजगार रिकॉर्ड।
- अदालत द्वारा लगाई जाने वाली किसी भी जमानत शर्तों का पालन करने के लिए तैयार रहें।
यह भे पड़ें – न्यायालय वारंट रद्द कौन सी धारा में कर सकती है और किस कारण से
POCSO अधिनियम के तहत जमानत पाने के लिए यहां कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं:
- कथित अपराध के जांच में सहयोग करने की इच्छा दिखाएं।
- पर्याप्त जमानत बांड भरने की पेशकश करें।
- अदालत द्वारा लगाई जाने वाली किसी भी अन्य जमानत शर्तों का पालन करने के लिए सहमत हों, जैसे कि पीड़ित और पीड़ित के परिवार से दूर रहना।
- यह ध्यान रखना जरुरी है कि हर मामला अलग है, और अदालत अंततः मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर यह तय करेगी कि जमानत दी जाए या नहीं।
POCSO एक्ट के तहत जमानत पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं है। यदि आपको POCSO अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है, तो तुरंत कानूनी सलाह जरुर लें, एक वकील आपके अधिकारों और विकल्पों को समझने में आपकी मदद कर सकता है, और आपकी जमानत याचिका में आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है।